हर साल लाखों की संख्या में भक्तजन दुनिया के कोने-कोने से आकर माता वैष्णो देवी के दर्शन करते हैं और तृप्त होकर लौटते हैं. माता की गुफा के दर्शन करने पर उनके तीन स्वरूप दिखाई देते हैं. यह तीनों रूप ‘पिंडी’ स्वरूप में है और सम्मिलित रूप से वैष्णवी के नाम से जाने जाते हैं. एक ही नाम होने पर माता तीन स्वरूपों में है. यह बात हर भक्त के मन में आती है.
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माँ वैष्णो देवी के बारे में दंग कर देने वाले रहस्य
भगवान विष्णु के अंश से उत्पन्न मां वैष्णो देवी का एक अन्य नाम देवी त्रिकुटा भी है. देवी त्रिकुटा यानी मां वैष्णो देवी का निवास स्थान जम्मू में माणिक पहाड़ियों की त्रिकुटा श्रृंखला की गुफा में है. देवी त्रिकुटा के निवास के कारण माता का निवास स्थान त्रिकूट पर्वत कहा जाता है. आपने अगर माता के दरबार में हाजिरी लगाई है तो आपको याद होगा की मां का निवास पर्वत पर एक गुफा में है. भक्तों की लंबी कतार के कारण आपको पवित्र गुफा के दर्शन का काफी कम समय मिला होगा इसलिए इस गुफा के बारे में कई बातें हैं जो आप नहीं जान पाए होंगे, तो चलिए आज जानते हैं मां के दरबार के कुछ ऐसे रहस्य जो आप नहीं जानते होंगे.
1. माता वैष्णो देवी के दर्शनों के लिए वर्तमान में जिस रास्ते का इस्तेमाल किया जाता है वह गुफा में प्रवेश का प्राकृतिक रास्ता नहीं है
माता वैष्णो देवी के दर्शनों के लिए वर्तमान में जिस रास्ते का इस्तेमाल किया जाता है वह गुफा में प्रवेश का प्राकृतिक रास्ता नहीं है. श्रद्धालुओं की बढ़ती संख्या को देखते हुए कृत्रिम रास्ते का निर्माण 1977 में किया गया था. वर्तमान में इसी रास्ते से श्रद्धालु माता के दरबार में प्रवेश कर पाते हैं. मंदिर में सुबह-शाम दुर्गा देवी की आरती की जाती है, आरती से पहले माता को पानी, दूध, घी, और शहद से नहलाया जाता है फिर साड़ी और गहनों से उनका श्रृंगार किया जाता है. इन सब के बीच मंत्रों और श्लोक का उच्चारण भी होता है. पहले, पुजारी गुफा के अंदर पूजा करते हैं और फिर उसके बाद गुफा के बाहर बैठे भक्तों को आरती दी जाती है. आरती पूरी हो जाने के बाद उन्हें भूख, प्रसाद भी दिया जाता है.
2. कुछ किस्मत वाले भक्तों को प्राचीन गुफा से आज भी माता के भवन में प्रवेश का सौभाग्य मिल जाता है
दरअसल यह नियम है कि जब कभी भी 10000 के कम श्रद्धालु होते हैं तब प्राचीन गुफा का द्वार खोल दिया जाता है. आमतौर पर ऐसा शीतकाल में दिसंबर और जनवरी महीने में होता है. वैष्णो देवी में तीन अलग-अलग प्रमुख गुफाएं हैं. पुरानी गुफा साल के अधिकांश महीने में बंद रहती है. वह इसलिए क्योंकि यह गुफा बहुत पतली है और तीर्थ यात्रियों को इसे पार करने में काफी समय लगता है. दो गुफाएं आर्टिफिशियल है जो आपको तीन पिंडियों तक ले जाती है. पवित्र गुफा की लंबाई 98 फिट है, गुफा में प्रवेश और निकास के लिए दो कृत्रिम रास्ते बनाए गए हैं. इस गुफा में एक बड़ा चबूतरा बना हुआ है, इस चबूतरे पर माता का आसान है जहां देवी त्रिकुटा अपनी माता के साथ विराजमान रहती है.
एक मान्यता यह भी है की मां वैष्णो देवी की इस गुफा के दर्शन सिर्फ और सिर्फ किस्मत वालों को ही मिलता है क्योंकि कुछ व्यक्ति मां वैष्णो देवी के मंदिर तो पहुंच जाते हैं परंतु दर्शन नहीं कर पाते और उन्हें बिना दर्शन के वापस जाना पड़ता है. माना जाता है कि बुरे कर्म वाले व्यक्ति गुफा में फंस जाते हैं और आगे नहीं जा पाते हैं इसी कारण उन्हें वापस लौटना पड़ता है.
माता वैष्णो देवी के दरबार में प्राचीन गुफा का काफी महत्व है
श्रद्धालु उस गुफा से माता के दर्शन की इच्छा रखते हैं इसका बड़ा कारण यह है कि प्राचीन गुफा के समक्ष भैरव का शरीर मौजूद है. ऐसा माना जाता है माता ने यहीं पर भैरव को अपने त्रिशूल से मारा था और उसका सर उड़कर भैरव घाटी में चला गया था और शरीर यहां रह गया था. कहते हैं इस गुफा में आज भी भैरव का शरीर मौजूद है.
प्राचीन गुफा का महत्व गंगाजल प्रवाहित होता रहता है
प्राचीन गुफा का महत्व गंगाजल प्रवाहित होता रहता है. श्रद्धालु इस जल से पवित्र होकर मां के दरबार में पहुंचते हैं जो एक अद्भुत अनुभव होता है. हालांकि, दिव्या गुफाओं को बहुत से जांचकर्ताओं को दिखाया गया है जिसे पता चला है की गुफा 10 लाख वर्ष पुरानी है जब से तीर्थ यात्रियों ने वैष्णो देवी की यात्रा शुरू की थी.
माता वैष्णो देवी की गुफा का संबंध यात्रा मार्ग में आने वाले एक पड़ाव से भी है जिसे आदि कुमारी या अर्ध कुंवारी कहते हैं
मां वैष्णो देवी के इस गुफा तक पहुंचने में अर्ध कुंवारी या आदि कुंवारी घाटी से होकर गुजरना पड़ता है. यहां एक अन्य गुफा है जिसे गर्भ जून के नाम से जाना जाता है. मान्यता है की माता यहां 9 महीने तक इस प्रकार रही थी जैसे एक शिशु माता के गर्भ में 9 महीने रहता है इसलिए गुफा गर्व जून कहलाती है. माता का यहां रहने का कारण था भैरवनाथ से छुपना, भैरव से बचने के लिए मां वैष्णो देवी 9 महीने तक इस गुफा में छपी रही थी. ऐसी मान्यता है की मां की इस गर्भ गुफा में व्यक्ति पूरी जिंदगी में एक ही बार जा सकता है.
मंदिर का निर्माण 700 साल पहले पंडित श्रीधर ने करवाया था
मंदिर का निर्माण 700 साल पहले पंडित श्रीधर ने करवाया था और माता ने उसकी लाज रखी और दुनिया को अपने अस्तित्व का प्रमाण दिया. आपको विश्वास नहीं होगा लेकिन ऐसा कहा जाता है कि मंदिर का निर्माण करने वाले पंडित श्रीधर को बच्चों के रूप में प्रकट हुई मां वैष्णो देवी ने स्वयं इस गुफा के बारे में बताया था.
जो महिलाएं इस गुफा में प्रवेश करती हैं उन्हें प्रसव के दौरान कभी कोई समस्या नहीं होती
वर्षों से माना जाता रहा है कि जो महिलाएं इस गुफा में प्रवेश करती हैं उन्हें प्रसव के दौरान कभी कोई समस्या नहीं होती. जी हां सही सुना आपने, विश्वास करना थोड़ा मुश्किल है लेकिन लोगों की मान्यता तो यही कहती है.
आदि कुमारी की इन सूचनाओं के साथ आपको यह भी बता दें कि एक मान्यता यह भी है कि गर्भ जून में जाने से मनुष्य को फिर गर्भ में नहीं जाना पड़ता है. अगर मनुष्य गर्भ में आता भी है तो गर्भ में उसे कष्ट नहीं उठाने पड़ते हैं और उसका जन्म सुख एवं वैभव से भरा होता है और उसकी जिंदगी बेहद सुखद होती है. माता वैष्णो देवी की गुफा हमेशा से ही चर्चा का विषय बनी रही है, समय के साथ यहां माता के चरणों में आने वाले भक्तों की संख्या भी बढ़ती ही जा रही है. दोस्तों, यहां आप भी माता वैष्णो देवी की गुफा के दर्शन कर चुके हैं या करना चाहते हैं तो हमें कमेंट करके बताइएगा. जय माता दी।