Mystery Of Headless Chicken M: देखिए 70 साल पहले कोलो राधा के छोटे से फॉर्म एक कपल काम कर रहे थे, काम था चिकन सेलिंग का जिसके लिए पहले मुर्गी का सर अलग किया जाता है और फिर उन्हें साफ करके मार्केट में बेचने के लिए तैयार किया जाता है. अब रोज की तरह आज भी यह प्रक्रिया चल ही रही थी और 40 से 50 मुर्गी तैयार किये जा चुके थे लेकिन तभी एक अजूबा हुआ. सर काटने के बाद भी उनमें से एक मुर्गा उठ खड़ा हुआ और उसने फार्म पर ऐसे ही चलना शुरू कर दिया जैसे कुछ हुआ ही ना हो. पति OLSEN और पत्नी CLARA को इस चमत्कार पर विश्वास ही नहीं हुआ. यह मुर्गा न केवल चल रहा था बल्कि उड़ने की कोशिश भी कर रहा था. उन्होंने उसे उठाया और आंगन के एक बॉक्स में यह सोच कर रख दिया कि शायद यह करने से पहले फड़फड़ाना शुरू करेगा और कुछ देर में अपना दम तोड़ देगा. लेकिन उन्होंने जो भी सोचा हुआ उसके उल्टा ही.
चमत्कारिक मुर्गा: कटा हुआ सिर, फिर भी जीवित!
अगली सुबह वो उठकर जब आंगन में पहुंचे तो उन्होंने जो देखा वो पूरी दुनिया के लिए आशंभव था. वह मुर्गा अभी भी जिंदा था लेकिन ऐसा कैसे हो सकता था? क्या इसके पीछे साइंस का कोई अविष्कार था या फिर भगवान का कोई चमत्कार?
जरा इससे मिलिए यह है वह बिना सर वाला मुर्गा जिसने 1940 के दशक में हंगामा मचा दिया था. उस दौर में US के रेडियो स्टेशन से लेकर मैगजीन और अखबार के हर पन्ने पर केवल एक ही नाम था और वह था हैडलेस चिकन (Headless Chicken The Mike). जी हां, चिकन के मालिक OLSEN ने अपने इस चमत्कारी मुर्गी का यही नाम रखा था. इसके पास सर तो नहीं था लेकिन वह चल फिर सकता था बिना मुंह के खाना खा सकता था और सबसे जरूरी वह बिल्कुल हेल्दी था. अब ओल्सेन ने जब अपने मुर्गे को अगली सुबह भी जिंदा देखा तब वह समझ गया था कि इसकी किस्मत ने कुछ और ही लिखा है.
सर कटने के बाद भी 2 साल तक जिंदा रहा ये मुर्गा
अब उसने मन बना लिया कि वह माइक को पालेगा इसलिए उसने अपने चिकन को उठाया और पूरे जोश में मार्केट की तरफ चल दिए. उसे यकीन हो चला था कि यही मुर्गा अब उसके लिए सोने का अंडा देने वाली मुर्गी बन जाएगा और इसलिए एक बार जब उसने मार्केट में कदम रखा तब उसने लोगों से शर्त लगाई कि उसके पास बिना सर वाली एक ऐसी मैजिकल मुर्गी है जो किसी मिरेकल से कम नहीं है. अब भोले भाले गांव के लोगों को भी उस पर विश्वास हुआ और जब ओल्सेन ने सच में बिना सर के इस करिश्मा को लोगों के सामने रखा तो उनके लिए यह मिरेकल माइक दूसरी दुनिया से आया अजूबा बन गया.
देखते ही देखते Mike the Headless Chicken की कहानी पूरे कोलो राडो में फैल गई. किसी के लिए हैडलेस चिकन लॉर्ड यीशु का चमत्कार बन गया तो साइंस को मानने वाले लोगों के लिए यह एक फेक कारनामा लगा. कोई माइक के सपोर्ट में था तो कोई उसके अगेंस्ट हो गया. सोसाइटी में इस एक चिकन को लेकर लोगों के थॉट्स हर दिन बदलने लगे लेकिन एक चीज जो कॉमन रही वह यही थी कि माइक के चर्चे हर किसी की जुबान पर थे. वह कैसे चलता है? कैसे खाना खाता है और अभी तक वह कैसे जिंदा है यह सभी सवाल उठने लगे. जो लोग माइक को दूर-दूर से देखने आते थे वह यही देखकर हैरान रह जाते थे कि “भैया यह मुर्गा बिना मुंह के भी आई ड्रॉपर से खाना कैसे खा सकता है?
आई ड्रॉपर से खाना खाता था सर कटा हुआ मुर्गा
दरअसल OLSEN मुर्गे को जिंदा रखने के लिए आई ड्रॉपर से खाना खिलाते थे वह दाना नहीं खा सकता था इसलिए ओल्सन सीधे माइक के खाने की नली में लिक्विड डालते और इसके अलावा वह मुर्गी के गले से म्यूकस को भी सीरीज के सहारे निकालते. माइक की यह लाइफ लोगों को काफी रोमांचित करती है और इसमें जब उनकी पॉपुलैरिटी बहुत ज्यादा बढ़ गई तब ओल्सेन को MIKE के साथ UTAH यूनिवर्सिटी में भी आने का इनविटेशन मिला ताकि यह देखा जा सके कि माइक सच में एक रियलिटी है या फिर कोई झुटा फसाद.
अब जब सर कटे माइक की कहानी सच निकली तब उस पर कई बैटरी टेस्ट किए गए. उसकी तरह ही कई दूसरे मुर्गों के सर भी अलग कर दिए गए ताकि यह पता चल सके कि बाकी मुर्गी भी जिंदा रहते हैं या फिर नहीं. मगर अफसोस ऐसा कुछ नहीं हुआ. माइक के अलावा किसी भी चिकन में वह कैपेबिलिटी नहीं निकली कि वह जिंदा रह पाए. तो फिर ऐसे में सवाल यह आया कि आखिर माइक में ऐसी क्या खास बात थी कि वह जिंदा बच गया?
आखिर सर कटने के बाद भी MIKE कैसे जिंदा रहा?
वैज्ञानिकों ने जब इसकी तहत में जाकर इसकी कहानी को पता लगाने की कोशिश की तो वह समझ गए कि इसके बचने के पीछे क्या लॉजिक और साइंस था. दरअसल होता यह है कि जब किसी मुर्गे के सर को धड़ से अलग किया जाता है तो दिमाग शरीर के बाकी हिस्सों से डिस्कनेक्ट हो जाता है. ब्रेन के न होने से बॉडी पार्ट्स को सिग्नल मिलाना भी बंद हो जाते हैं और नर्वस सिस्टम थप पड़ जाता है ऐसे केसेस में मुर्गे की मौत या तो ब्लीडिंग से होती है या फिर ब्रेन के सिग्नल्स रुक जाने की वजह से लेकिन माइक के केस में जो हुआ वह तो बहुत ही अलग था.
दरअसल जब olsen, माइक के सर को अलग कर रहे थे तो वह बचने की कोशिश में फड़फड़ाना लगा और इसकी वजह से उसका सर तो अलग हो गया लेकिन सर के पीछे का कुछ हिस्सा बचा रह गया. यानी उसकी आंख, मुंह, कान और दिमाग तो चला गया लेकिन दिमाग की नसें बची रह गई. इसके अलावा उसकी एक कान और गले की नस को भी कोई चोट नहीं आई. ऐसे में उसके शरीर को बिना दिमाग के सिग्नल मिलने लगा. इसके अलावा उसकी मौत एक्सट्रीम ब्लीडिंग से भी हो सकती थी लेकिन यहां भी उसकी किस्मत ने उसका साथ दिया और शरीर ने कटे हुए हिस्से में ब्लड क्लॉटिंग को जन्म दे दिया. इससे उसके शरीर से खून तो बंद हो गया, दिल सेफ्ली धड़कता रहा और सांस भी चलती रही.
बिना सर वाले इस मुर्गे की mystery science ने तो सॉल्व करदी लेकिन साइंस को मानने के बजाय लोग हमेशा इसे चमत्कार की तरह ही देखने में इंटरेस्टेड रहे. इसी का नतीजा यह निकला की साइंस की स्थिति के बाद भी मिरेकल माइक का जाम फीका नहीं पड़ा, लोग अभी भी इस मुर्गे को देखना चाहते थे और इसका फायदा जो सिम को मिला उसने माइक के झलक दिखाने के लिए पब्लिक से 25 सेंट एंट्री फीस लेना शुरू कर दिया. कभी वह स्लाइड शो सर्किट में माइक की परफॉर्मेंस रखते तो कभी शहर के अलग-अलग कार्यक्रम में वह इस मुर्गे के साथ शिरकत करते और कमाल की बात तो यह थी कि इसके बाद भी माइक को देखने वाले लोगों की कमी नहीं थी.
यह पहली बार था जब किसी जानवर के पास क्यूट शक्ल सूरत नहीं थी लेकिन फिर भी उसकी लोकप्रियता कई बड़े दिक्कत सेलिब्रिटी को पीछे छोड़ रही थी और इसलिए जल्द ही माइक को अपने मालिक के साथ कई दूसरे शोस पर आने का इनविटेशन भी मिला. इसी के चलते ओल्सेन को दुनिया घूमने का मौका मिला. अब वह कभी किसी देश में घूमने जाते तो कभी कैलिफोर्निया, कभी साउथ ईस्ट उस तो कभी बड़े-बड़े शो में उन्हें गेस्ट बुलाया जाता. इस तरक्की ने उन्हें इतनी तेजी से अमीर बनाया कि वह हर महीने 45000 कमाने लगे, कुल मिलाकर olsen और उसकी बीवी के जिंदगी में सब कुछ अच्छा चल रहा था और माइक ने उनकी किस्मत को सातवें आसमान पर पहुंचा दिया था लेकिन वह नहीं जानते थे कि उनका यह अच्छा वक्त जल्द ही गुजर जाएगा.
इस दिन मरा था सर कटा हुआ मुर्ग माइक
1947 वह दिन था जब माइक ने दुनिया में आखिरी सांस ली. यह वह वक्त था olsen माइक के साथ कई आया था. यहां वह माइक के ही किसी प्रोग्राम के लिए इनवाइटेड था और प्रोग्राम खत्म होने के बाद रात को होटल के रूम में आराम फरमा रहे थे. आधी रात को अचानक उसकी नींद टूटी, उन्हें माइक की आवाज सुनाई थी जब उन्होंने करीब जाकर देखा तो पाया की नली में जमे तार के चलते माइक का गला जाम हो गया. आमतौर पर ऐसा जब होता था तब जो सीरीज के जरिए माइक के गले से म्यूकस निकाल लेते थे और वह रिलीज फुल करता था लेकिन अफसोस इस बार ऐसा नहीं हो सकता था क्योंकि जल्दबाजी में ओल्सेन सीरीज लाना ही भूल गए थे और इतनी रात को कहीं भी सीरीज मिलना बहुत मुश्किल था.
ऐसे में olsen चाह कर भी कुछ नहीं कर सकते थे उनकी आंखों के सामने माइक तड़प रहा था लेकिन वह खड़े होकर चुपचाप देख रहे थे. कुछ देर बाद जब माइक का गला पूरी तरह से बंद हो गया तो उसने होटल के रूम में ही अपना दम तोड़ दिया और इसी के साथ माइक का सुहाना सफर यहीं खत्म हो जाता है. बिना सर के लगभग ढ़ाई साल तक माइक जिंदा रहा लेकिन फिर इसकी मौत ने OLSEN को न केवल अंतर तक हिला दिया बल्कि एक लंबे समय तक उसे इस बात का मलाल रहा कि कैसे उसकी एक गलती से माइक इस दुनिया से चला गया. कई सालों तक ओल्सन ने लोगों को यह पता नहीं चलने दिया था कि उन्होंने माइक के साथ क्या किया वह सबको बस यही बताते रहे कि उन्होंने चिकन को स्लाइड शो सर्किट में किसी को बेच दिया, लोग भी उनकी इस बात को सच मानते रहे लेकिन वह जानते थे कि उन्होंने माइक के साथ क्या किया इसलिए कुछ साल बाद उन्होंने अपनी इस गलती को एक्सेप्ट किया और अपनी पत्नी को सच बता दिया था कि कैसे उनकी गलती की वजह से माइक की जान चली गई.
हालांकि माइक तो दुनिया से चला गया था लेकिन वह olsen को इतना अमीर बना गया कि मरते दम तक वह पैसों में खेलते रहे, उनकी अमीरी देखकर लोगों ने अपने लिए भी माइक जैसा चिकन क्रिएट करने का सपना नहीं छोड़ा, लोग अक्सर चिकन खरीद कर लाते और उसकी गर्दन उड़ाकर हैडलेस चिकन बनाने की कोशिश करते. खुद OLSEN ने भी कई बार एक दूसरे माइक को क्रिएट करने की कोशिश की लेकिन वह हर बार ही फेल हुआ.
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