Beyond Snack Success Story: वेट लॉस के बिफोर-आफ्टर फोटोस देखने के बाद अगर मुझे किसी चीज में सबसे ज्यादा मजा आता है तो वह है शर्क टैंक इंडिया (Shark Tank India) के बिफोर आफ्टर फोटोस देखना. आज हम बात करेंगे कि कैसे एक साधारण सी चिप्स बनाने वाली कंपनी जो पहले कुछ महीनो में सिर्फ कुछ लाख रुपए कमाती थी वह आज हर महीने करोड़ों रुपए कमाती है, जानेंगे इनके इंटरेस्टिंग बिजनेस सीक्रेट्स (Interesting business secrets) को और कई सारे बिजनेस लेसन्स को, तो आर्टिकल को अंत तक जरूर देखना तो चलिए शुरू करते हैं.
Manas Madhu Beyond Snack Success Story: कैसे खड़ा किया करोड़ों का बिजनस
Beyond Snack Kerala Banana Chips के फाउंडर मानस मधु (Manas Madhu) ने नोटिस किया कि खेतों में केले वेस्ट हो रहे थे, 40% से भी ज्यादा केले वेस्ट हो रहे थे. उन्होंने ऑब्जर्व किया कि बनाना चिप्स (Banana chips) का मार्केट कंपेरटिवली छोटा है पोटैटो चिप्स (Potato chips) के मार्केट के मुकाबले में और यहीं पर उन्हें एक बड़ी अपॉर्चुनिटी दिखाई दी.
किसी भी एक सक्सेसफुल बिजनेसमैन की एक खास बात होती है कि वह बिजनेस Opportunities को अच्छे से आईडेंटिफाई कर पाते हैं और यही किया मानस मधु ने. अगले कुछ महीनो में उन्होंने 42 चिप्स मैन्युफैक्चरर्स को विकसित किया और उनके प्रक्रिया को समझने की कोशिश की. जब वह शर्क टैंक इंडिया पर आए थे तब तक उन्होंने 1.4 करोड़ रुपए रेस किए थे. इन्वेस्टर से इसके बदले में उन्होंने अपनी कंपनी की 15% इक्विटी इन्वेस्टर्स को दी थी. उनके अपने 70 लाख रुपए भी लगे थे.
Shark Tank India में कितने लाख की फन्डिंग लेने गए थे मानस मधू
इस बिजनेस में वह शार्क से 50 लाख रुपए की फंडिंग चाहते थे जिसके बदले में वह अपनी कंपनी की 2.5 % इक्विटी शार्क को देने के लिए तैयार थे. इस फंडिंग से वह अपनी डिस्ट्रीब्यूशन को बढ़ाना चाहते थे. उन्होंने ऑब्जर्व किया था कि उनकी 70% सेल्स नॉर्थ इंडियन स्टेट से आ रही थी इसलिए वह अपना डिस्ट्रीब्यूशन इन स्टेट्स में बढ़ाना चाहते थे. उन्हें मिली अपनी ड्रीम ऑफर अमन ने 50 लाख रुपए दिए 2.5% इक्विटी के बदले यानी की 20 करोड़ रुपए की वैल्यूएशन.
Manas Madhu ने सिर्फ केले के चिप्स बेचकर बना डाली करोड़ो की कंपनी, पढ़े पूरी कहानी!
कोई भी बिजनेस तभी सक्सेसफुल बन पाएगा जब उसके पास कोई ना कोई खास चीज हो और beyond snack banana chips के पास कई सारी खास चीज थी. शार्क टैंक के पिच के दौरान उन्होंने कहा था कि बनाना चिप्स का मार्केट काफी लोकल है और उसमें कुछ इंर्पोटेंट इश्यू है जो उनकी कंपनी सॉल्व करती है जैसे की लोकल चिप्स बनाने वाला अंकल जिसे वह गिरसी अन्ना कहते हैं वह चिप्स बनाते वक्त हाइजीन का ध्यान नहीं देते, पसीना, गंदे कपड़े का इस्तेमाल होता है यह चिप्स बनाने में. ना ही कोई चिप्स की क्वालिटी और हाइजीन को सीरियसली नहीं लेता उन्होंने यह भी ऑब्जर्व किया की मार्केट में पोटैटो और मैदे से बने हुए चिप्स तो हैं लेकिन ज्यादातर यह हेल्दी नहीं होते इसीलिए उन्होंने बनाना चिप्स के बारे में सोचा जो की हेल्दी भी हो और टेस्टी भी हो.
ऐसे हुई Beyond Snack Success Story की शुरुवात
उनका विजन है कि बनाना चिप्स को लेकर एक नेशनल ब्रांड हो लेकिन हल्दीराम और बालाजी भी तो बनाना चिप्स बनाते हैं और यह भी तो नेशनल ब्रांड है, राइट?
इनके ब्रांड भले ही कई सारे हैं लेकिन कोई भी ब्रांड बनाना चिप्स के लिए नहीं पहचाना जाता. उनका विजन है कि वह बनाना चिप्स से पहचाने जाने वाले एक नेशनल ब्रांड बन जाए उनके चिप्स की खास बात यह है की चिप्स थीं होते हैं, पतले होते हैं, जिसे खाने में आसानी होती है. अगर चिप्स मोटे हुए तो फिर हम उन्हें साइड के दातों से चबाते हैं लेकिन बियॉन्ड स्नैक्स के चिप्स पतले होते हैं जिससे हम उन्हें आगे वाले दांतों से भी चबा सकते हैं. उन्होंने अपने प्रक्रिया को समझा जिसके कारण उनके चिप्स बनाने का टाइम 10 गुना कम हो जाता है. किसी ट्रेडिशनल चिप के मुकाबला किसी रेगुलर चिप्स मैन्युफैक्चरर के मुकाबले में उनके चिप्स में 20% कम फैट है और कम तेल है.
जानिए शर्क टैंक इंडिया में आने के बाद बियोंड स्नैक्स के सेल्स छप्पर फाड़ कैसे हुई
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अब बात करते हैं कि कैसे शर्क टैंक इंडिया में आने के बाद बियोंड स्नैक्स के सेल्स बियोंड रूप हो गए छप्पर फाड़ सेल्स हो गई.
- उनकी शर्क टैंक में आने की वजह से शर्क टैंक में आने के पहले वह दिल्ली के 700 किलो चिप्स बना देते थे, शर्क टैंक में आने के बाद आज वह 3800 किलो चिप बनाते हैं.
- पहले प्रोडक्ट सिर्फ 1000 स्टोर्स ने अवेलेबल थे और अब उनके प्रोडक्ट्स 4000 स्टोर्स में अवेलेबल है.
- वह US, यूएई, कतर, नेपाल, और मॉरिशस में भी अवेलेबल है.
- पहले उनके मंथली सेल्स 21 लख रुपए हर महीना थे और अब उनके मंथली सेल्स 2.25 करोड रुपए हैं.
- उनके टोटल सेल्स में ओरिजिनल स्टाइल 50% बिकता है, पेरी-पेरी 30%, साल्ट एंड पेपर 15 परसेंट, क्रीम मैन ओनियन 15%.
लेसन 1. प्रॉब्लम को आईडेंटिफाई करना
दोस्तों अब बात करते हैं उन बिजनेस लाइसेंस की जो हम इस सक्सेस स्टोरी से सीख सकते हैं और अपने बिजनेस के लिए अप्लाई कर सकते हैं. लेसन नंबर वन प्रॉब्लम को आईडेंटिफाई करना. फाउंडर्स प्रॉब्लम्स को आईडेंटिफाई किया. बनाना का वेस्टेज हाइजीन और क्वालिटी इश्यूज हेल्दी स्नैक्स का मार्केट में ना होना, पतले चिप्स कोई बना नहीं रहा था और लास्ट की कोई स्पेसिफिक ब्रांड नहीं था जो केवल बनाना चिप्स के लिए जाना जाए.
लेसन 2. रिसर्च
लेसन नंबर 2 रिसर्च, दोस्तों प्रॉब्लम को आईडेंटिफाई करने के बाद हमें लगता है रिसर्च. आखिर हमें कैसे पता चलेगा की चिप्स को अच्छे से कैसे बनाया जाता है?, मैन्युफैक्चरिंग प्रोसेस कैसे होती है?, इस केस में फाउंडर ने 42 चिप्स मैन्युफैक्चरर्स को विकसित किया और समझा कि आखिर चिप्स बनाए कैसे जाते हैं? क्या ऑब्सटेकल्स होते हैं, और उनके प्रॉब्लम्स क्या है.
लेसन 3. स्टैंडर्डाइजेशन प्रक्रिया
लेसन नंबर थ्री स्टैंडर्डाइजेशन प्रक्रिया. दोस्तों, किसी भी बैलेंस में उनके प्रोसेस अच्छे से डिफाइन होते हैं. एक प्रॉपर प्लान होता है इस तरह से बियॉन्ड स्नैक्स के केस में उनके स्टैंडर्डाइजेशन के कारण चिप्स की क्वॉलिटी मेंटेन रहती है. टाइम कम लगता है चिप्स का फत परसेंटेज कम रहता है और वह कम ऑइल होते हैं.
आपको Manas Madhu Beyond Snack Success Story पढ़कर क्या सीखने को मिला, कमेन्ट के माध्यम से जरूर बताए.