Pakistan Chunav 2024: पाकिस्तान का इतिहास अगर देखा जाए तो यह साफ-साफ नजर आता है कि उसे देश में राजनीतिक पकड़ नेता पार्टियों से ज्यादा पाकिस्तान सेना की है. हर फैसले में सेना, सरकार पर हावी होती नजर आई है या यूं कहे जब से पाकिस्तान सेना की स्थापना हुई तब से ही सेना पावर में रही है. पाकिस्तान के पूर्व प्रधानमंत्री और कई नेता इस बात पर कई बार हामी भी भर चुके हैं. इमरान खान के भी यही बोल थे कि पाकिस्तान में सत्ता किसी के पास हो लेकिन ताकत सेना के हाथ में ही रहती है, दखल और रुतबा भी फौजी का ही रहता है. अगर कोई इस बात से इनकार कर रहा है तो वह बिल्कुल ही गलत है ऐसा खुद इमरान खान ने कहा था.
قوم کی جانب سے انتخابات میں تاریخی مقابلے، جس کے نتیجے میں تحریک انصاف کو عام انتخابات 2024 میں بے مثال کامیابی میسرآئی،کے بعد چیئرمین عمران خان کا(مصنوعی ذہانت سے تیار کردہ) فاتحانہ خطاب pic.twitter.com/8yQqes4nO9
— Imran Khan (@ImranKhanPTI) February 9, 2024
Pakistan Election Results 2024
विदेशी मामलों की जानकारियां कहते आई हैं कि पाकिस्तान की जनता यह अच्छी तरह से जान गई है कि देश में स्वतंत्र और निष्पक्ष चुनाव असल में हो ही नहीं सकते लेकिन कैसे यह पाकिस्तानी सेना सरकार की बैंकिंग पावर बन गई है और क्यों ऐसा कहा जाता है कि अगर पाकिस्तान का पीएम बनना है तो उसे सेना का फेवरेट होना पड़ेगा.
एक समय पर इमरान खान भी सेना के फेवरेट थे लेकिन अब कहानी कुछ और ही दिखाई देती है. कहीं ना कहीं यह भी कहा जाता है कि नवाज शरीफ की सत्ता में बार-बार वापसी सेना की वजह से ही मुमकिन हो पाई है. खैर यह सारा खेल है क्या हम आपको बताएंगे, दरअसल इस कहानी के लिए थोड़ा पीछे चलते हैं.
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पाकिस्तान सेना की नीव ब्रिटिश इंडियन आर्मी से पड़ी थी और तब ब्रिटिश जनरल फ्रैंक में सर्विस के पहले सेना प्रमुख थे लेकिन इस सेना ने राजनीति में दखल क्यों बनाए रखा इसके पीछे कई कारण है. कई रिपोर्ट में इसके अलग-अलग कारण दिए गए हैं, पहला कारण यह है की सेना का दबदबा इसी कारण है क्योंकि भारत से युद्ध में हार के बाद भारत से खतरा बताया जाता है. पाकिस्तान का ताकता पलट का यह सिलसिला पाकिस्तान की आजादी मिलने के बाद ही शुरू हुआ था.
साल 1958 में पाकिस्तान के राष्ट्रपति की गद्दी अली मिर्जा ने संभाली थी और उस समय पाकिस्तान सेना के चीफ जनरल अयूब खान थे जो सिकन्दर मिर्जा को सपोर्ट करते थे लेकिन अयूब खान के कहने पर ही सिकंदर ने पाकिस्तान के संविधान को बर्खास्त किया था और मार्शल लॉ लागू किया था, खैर यह जनरल का ही फैसला और इसे ही सेना का पहला तख्ता पलट माना जाता है, फिर 1979 में जनरल जिया उल हक ने पाकिस्तान पर सबसे पहले कड़ा शासन किया उसने तानाशाह की तरह पाकिस्तान पर राज किया, देश में मार्शल लॉ लागू किया, संविधान की मर्यादा को तार-तार की और नेशनल और स्टेट असेंबली को भी भंग किया, राजनीतिक दलों पर रोक लगाई और चावन को अनिश्चितकाल के लिए स्थगित कर दिया.
उम्मीद की जा रही थी की हालत कहीं ना कहीं बदलेंगे लेकिन ऐसा हुआ ही नहीं पाकिस्तान और बेपटरी होता गया. पाकिस्तान के आम चुनाव में जब नवाज शरीफ की जीत हुई तब प्रधानमंत्री बनने के बाद नवाज ने सेना प्रमुख की कमान भी जनरल परवेज मुशर्रफ के हाथों में सौंपा.
समय के साथ मुशर्रफ ने अपनी रणनीति से ताकत में इजाफा किया और कारगिल युद्ध के लिए भी मुशर्रफ को ही जिम्मेदार माना गया था. कुल मिलाकर देखा जाए तो पाकिस्तान सेना कोई जंग जीत नहीं पाई थी और कोई चुनाव हार नहीं पाई थी, दूसरा कारण यह रहा है कि कहीं ना कहीं पाकिस्तान की इकोनॉमी पर पाकिस्तान सेना का दबाव देखने लगा था. कारण यह था कि पाकिस्तान सेना के कई रिटायर्ड और बड़े अधिकारी देश की कई संस्थाओं के प्रमुख थे इसके साथ-साथ देश की आर्थिक स्थिति भले ही खराब थी लेकिन पाकिस्तान सेना की संपत्ति में कभी कोई कमी नहीं आई.
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2016 तक की रिपोर्ट की माने तो सेना अपने हिसाब से कई संस्थाओं को चला रही है और इनका बिजनेस करीब एक पॉइंट 5 लाख करोड रुपए का है. पाकिस्तान की सेना दुनिया की एकमात्र मिलिट्री है जिसका बिजनेस देश के अंदर भी है और विदेशों में भी फैला हुआ है और इसकी वजह से ही पाकिस्तान की इकोनॉमी पर भी इसका अच्छा खासा फर्क पड़ता है और कहीं ना कहीं यह भी एक कारण है जिसकी वजह से पाकिस्तान सेना का सत्ता से कभी हाथ जाता ही नहीं है लेकिन कहीं ना कहीं हमें यह भी देखने को मिला है कि पाकिस्तानी मुस्लिम लीग के नेता और पाकिस्तान के पूर्व पीएम नवाज शरीफ सेना के फेवरेट रहे और यही कारण भी है कि वह बार-बार सत्ता में वापसी करते हैं.
नवाज़ शरीफ़ ने जब राजनीति में अपने कदम रखा था तब वह सेना के जनरल जिया उल हक के करीबी थे. नवाज शरीफ पाकिस्तान के इंडस्ट्रियल ग्रुप के मालिक हैं और देश के सबसे अमीर लोगों में गिने जाते हैं, उनका समूह स्टील का कारोबार करता है और धीरे-धीरे जब वह पीएम बने थे तब उन्होंने सेना की ताकत को कम करने की पूरी कोशिश की थी लेकिन उसका अंजाम भी यही हुआ कि उन्हें अपनी कुर्सी छोड़नी पड़ी.
फिलहाल पाकिस्तान की राजनीति में बहुत नाजुक दौर चल रहा है और नवाज शरीफ खुद को एक लीडर के तौर पर पेश कर रहे हैं वह अपने पिछले कामों का हवाला दे रहे हैं और यह भी कह रहे हैं कि देश के अर्थव्यवस्था को वह कहीं ना कहीं सुधार देंगे और अभी वह सेना के करीब भी नजर आ रहे हैं. बरहाल आपको कुछ कहना है तो हमें कमेंट बॉक्स में जरूर बताएं बाकी देश और दुनिया की तमाम बड़ी खबरों के लिए हमारे साथ TV9 भारतवर्ष परदोबारा वेबसाईट पर आए.
Imran Khan AI Victory Speech
قوم کی جانب سے انتخابات میں تاریخی مقابلے، جس کے نتیجے میں تحریک انصاف کو عام انتخابات 2024 میں بے مثال کامیابی میسرآئی،کے بعد چیئرمین عمران خان کا(مصنوعی ذہانت سے تیار کردہ) فاتحانہ خطاب pic.twitter.com/8yQqes4nO9
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